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अपने ही ईश्वर का ऐसा उपहास? जिस धर्म में पुरुष में स्त्रीत्व के इतने अनुपम उदाहरण मौजूद हैं, वहाँ आज मांसपेशियों के गट्ठर को ही पुरुष मान लिया गया है। कोई आश्चर्य नहीं कि इन्होंने धर्म का ये हाल किया है।
वही बात है न कि पढ़ो कुछ और, लिखो कुछ और, कहो कुछ और, करो कुछ और 🙄
एक ज़माने में बन चुके पुल, सड़कें और सरकारी भवन रिबन काटने के लिए इनका इंतज़ार करते थे। आज इंसानों का भी यही हाल कर दिया।
अफ़गानिस्तान में कॉमेडियन नज़र मोहम्मद, इस्लामिक कट्टरपंथियों को फूटी आँख नहीं सुहाए। नज़र साहब भी मुस्लिम थे और उन्हें मारने वाले भी। उन्हें मारने वाले नज़र मोहम्मद के इस्लाम से डरते थे। क्यूँकि हर कट्टरपंथी, समझदार धार्मिक इंसान से डरता है। उस देश में भी और इस देश में भी।
जज साब के लिए फ़िल्मों की लिस्ट बना दी है। अगर सर को ये फ़िल्में इंटरनेट पर न मिलें, तो अमेज़न वाले डीवीडी का सेट तो भिजवा ही सकते हैं।