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रंग रूप से बढ़कर हमेशा एक स्त्री का स्वाभिमान रहा है कभी दुर्गा कभी काली कभी ममता से भरा आंचल रहा है आज़ उसी फितरत को कुछ लोग शर्मसार करते है... नारी होकर भी नारी का अपमान करते है...!!