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अग्रतः चतुरो वेदाः पृष्ठतः सशरं धनुः।
इदं ब्राह्मं इदमं क्षात्रं, शापदापि शरदपि।।
जो चारों वेदों के ज्ञानी हैं और पीठ पर धनुष-बाण रखते है। अर्थात् ब्राह्मतेज एवं क्षात्रतेज, दोनों हैं। विरोधियों का शाप से अथवा बाण से, दोनो से विनाश करते हैं।
जय भगवान परशुराम!