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मैं क्रोध हूँ आक्रोश हूँ
मैं कुचल रही संस्कृति का रोष हूँ
मैं अग्नि हूँ मैं खाक हूँ
मैं जल रही चिंगारी का ताप हूँ
मैं हर छड़ अपमानित नारी की हुंकार हूँ
हाँ तू न कर सका मैं वो नारी का सम्मान हूँ
मैं बदलते वक्त का इक नया आगाज हूँ
मैं नारी हूँ, मैं नारी की आवाज हूँ।
-नेहा
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