बांधे है बंधन दिलों के
कैसे तुझसे मैं दूरी सहूंगी

सारे कर्मकांड मुझ बिन तेरे अधूरे है
चाहे किसी के संग ले ले फेरे

बाया बाजू स्थान मेरा रहेगा
मन को छूआ तूने मेरे
रुक्मणी नही
मै तेरी राधा बनूँगी

मुक़द्दर मे तेरे कोई और सही
तुझमे मै आधी रहूँगी•••✍

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