साहित्य के अनमोल रतन का नाम मुंशीजी नहीं था।
कन्हैयालाल मुंशी का मुंशी और प्रेमचंद का प्रेमचंद, हंस पत्रिका के मुख्य पेज पर सम्पादकद्वय का नाम "मुंशी-प्रेमचंद" छपता था। जिसके चलते मुंशी प्रेमचंद कहने की आदत बन गई।

जन्मथिति पर नमन्!

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