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#विनोद_दवे
· #इंसानियत_मरी_नहीं
सिटी बस अपनी रफ्तार में थी। सवारियों के लिए इतनी मारामारी कि चढ़ने या उतरने के लिए केवल एक ब्रेक लगता।
कंडक्टर सवारियों को अंदर खींच लेता और एक धक्का काफ़ी था। कोई चौराहे पर उतरने के चक्कर में गिर गया।
पीछे से आती कार उसे कुचलती हुई निकल गई।